Sunday, March 28, 2010

आखिर हमने ही फैलाया है भ्रस्टाचार ?




हम सब अपने अपने कामो में बहुत व्यस्त रहते है सुबह सुबह उठकर तैयार होकर कोई ऑफिस चला जाता है तो कोई स्कूल , कॉलेज चला जाता है अब आप सोच रहे होंगे की इसका सम्बन्ध भ्रस्टाचार से कैसे है?







लेकिन इसका सम्बन्ध भ्रस्टाचार से ही है समय का आभाव बहुत बड़ी भूमिका निभाता है अगर आप को कोई सरकारी काम करवाना तो जाहिर है उसके लिए समय समय चाहिए जो आपके पास नहीं है चलो एक दिन आप अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर सरकारी काम करवाने गए मान लो आपको वाहन चलाने के लिए लाईसेंस बनवाना है और आप चले गए बनवाने और वहां जाते ही आपको इतने दलाल दिखाई देंगे लेकिन आप अपनी ईमानदारी से बिना दलाल के बनवाना चाहते है आपने लाईसेंस का फॉर्म ख़रीदा उसको भरा और पहचान पत्र की फोटोकॉपी तथा , रासन कार्ड तथा अन्य दस्तावेज उसके साथ लगाकर अधिकारी के पास जांच के लिए गए तो क्या था अब अधिकारी ने दस्तावेजो में कमियां निकालनी शुरू कर दी क्योकि आप किसी दलाल के द्वारा नहीं गएँ और आपके आगे एक आदमी का फॉर्म तुरंत जांच हो गया क्योकि वो दलाल के द्वारा आया था और दस्तावेजो में भी अधिकारी ने क्या गलतियाँ निकाली की आप के राशन कार्ड में आपका नाम राज है और पहचान पत्र में सिर्फ राज है जाओ पहले ऐफिडेविड बनवा के लाओ अब आपका एक दिन ख़राब हुआ ऑफिस से छुट्टी ली थी बॉस से भी गलियां सुन्नी है तो बस क्या अब आप के पास तो समय ही नहीं है आप की एक दिन की तनख्वाह भी कटी जाएगी अब खुद बनवायेंगे तो तो दो से चार दिन लग जायेंगे यानि चार दिन की छुट्टी अब फिर क्या था आप दलाल के पास जायेंगे उसको पैसे देंगे और वो आपका काम खुद करवा कर आपके हाथ में देगा यंहा पर कमी हमारी ही है जब हम कोई दस्तावेज बनवाते है तो हम थोड़ी लापरवाही कर देते है और हमारे पास इतना समय भी नहीं है की हम दो चार दिन आकर खुद करवा ले इसी के कारन भ्रस्टाचार को हम बड़ावा दे रहे है या यूँ कह सकते है की हम खुद भ्रस्टाचार को जनम दे रहे है और हमें किसी को दोष देने का अधिकार नहीं है